जी हाँ मीठा फैट ही है। कार्बोहाइड्रेट यानि की मीठा जब शरीर में जरूरत से ज्यादा हो जाता है तो चर्बी के रूप में बदल कर स्टोर हो जाता है। मीठा यानि की
ग्लूकोज़, चीनी , गुड़ , मिठाई , फल ,अनाज,सब्जियां या कोई भी ऐसी चीज़ जो भी मीठी हे वह् शरीर में जा कर ग्लूकोज़ में तब्दील हो जाती है। परंतु सच्चाई यह है कि शुगर शरीर में ग्लूकोज़ के रूप में स्टोर नहीं होती। अगर ऐसा होता तो शुगर के मरीजो की तरह ज्यादा खाने पर शुगर का स्तर हर आदमी में बढ़ जाता। और हर आदमी शुगर का मरीज हो जाता। जब की ऐसा नहीं होता ।
ज्यादा खाया हुआ मीठा कुदरती कैमिकल प्रतिक्रया से triglyceride फैट में तब्दील हो जाता है और शरीर के विभिन्न स्थानों में चर्बी के रूप में जमा हो जाता है। यही चर्बी चमड़ी के नीचे जा कर मोटापा करती है और खून में रह कर कोलिस्ट्रोल बढ़ा कर विभिन्न बिमारियों का कारण भी बनती है। यहाँ मैं ये लिखना अनिवार्य समझता हूँ की अगर हम फैट यानि की चर्बी खाते हे तो वह् शरीर का हिस्सा नहीं बनती बल्कि बिना ताकत दिए सीधी स्टोर हो जाती है।
अगर आप को ख़राब फैट्स से बचना है तो ऐसी चीज जो जिव्हा पर मीठी लगती है जैसे की चीनी, ज्यादा पक्के फल व् फल रस, मिठाईया , साफ्ट ड्रिंक्स आदि को कम से कम से खाना चाहिए और जो कार्बन्ज़ जिव्हा पर मीठे नहीं लगते जैसे की जैसे आलू, चावल, मैदा , अनाज आदि थोड़े थोड़े करके बार बार खाने चाहये। इसी प्रकार ऐसे कार्बन्ज़ जो हज़म करने में ज्यादा भारी है जैसे की सलाद, साग सब्जिया, दाले, ड्राई फ्रूट्स आदि भी थोड़े थोड़े करके बार बार खाने चाहिए।
परन्तु ध्यान रहे हमें कभी भी अपनी खुराक में कार्बन्ज़ टोटल खाने के 60 % से ज्यादा जरूर लेने चाहिए। आज कल जीरो कार्बन्ज़ का प्रचलन बिल्क़ुल गलत और खतरनाक है। क्योंकि कार्बन्ज़ ही हमारे शरीर का पट्रोल है और इसके बिना गाड़ी नहीं चल सकती।अगर हम दिन में 5 से 6 बार थोड़ा थोड़ा करके अपनी हर खुराक में पूरे कार्बन्ज़ का 15% मीठा, 50 % अनाज और 35 % फाइबर्स खाएं तो शरीर कभी भी नहीं थकेगा और कोई कार्बन्ज़ फालतू न होने पर चर्बी के रूप में मोटापा और विभिन्न बीमारियां नहीं पैदा करेगा।
ग्लूकोज़, चीनी , गुड़ , मिठाई , फल ,अनाज,सब्जियां या कोई भी ऐसी चीज़ जो भी मीठी हे वह् शरीर में जा कर ग्लूकोज़ में तब्दील हो जाती है। परंतु सच्चाई यह है कि शुगर शरीर में ग्लूकोज़ के रूप में स्टोर नहीं होती। अगर ऐसा होता तो शुगर के मरीजो की तरह ज्यादा खाने पर शुगर का स्तर हर आदमी में बढ़ जाता। और हर आदमी शुगर का मरीज हो जाता। जब की ऐसा नहीं होता ।
ज्यादा खाया हुआ मीठा कुदरती कैमिकल प्रतिक्रया से triglyceride फैट में तब्दील हो जाता है और शरीर के विभिन्न स्थानों में चर्बी के रूप में जमा हो जाता है। यही चर्बी चमड़ी के नीचे जा कर मोटापा करती है और खून में रह कर कोलिस्ट्रोल बढ़ा कर विभिन्न बिमारियों का कारण भी बनती है। यहाँ मैं ये लिखना अनिवार्य समझता हूँ की अगर हम फैट यानि की चर्बी खाते हे तो वह् शरीर का हिस्सा नहीं बनती बल्कि बिना ताकत दिए सीधी स्टोर हो जाती है।
अगर आप को ख़राब फैट्स से बचना है तो ऐसी चीज जो जिव्हा पर मीठी लगती है जैसे की चीनी, ज्यादा पक्के फल व् फल रस, मिठाईया , साफ्ट ड्रिंक्स आदि को कम से कम से खाना चाहिए और जो कार्बन्ज़ जिव्हा पर मीठे नहीं लगते जैसे की जैसे आलू, चावल, मैदा , अनाज आदि थोड़े थोड़े करके बार बार खाने चाहये। इसी प्रकार ऐसे कार्बन्ज़ जो हज़म करने में ज्यादा भारी है जैसे की सलाद, साग सब्जिया, दाले, ड्राई फ्रूट्स आदि भी थोड़े थोड़े करके बार बार खाने चाहिए।
परन्तु ध्यान रहे हमें कभी भी अपनी खुराक में कार्बन्ज़ टोटल खाने के 60 % से ज्यादा जरूर लेने चाहिए। आज कल जीरो कार्बन्ज़ का प्रचलन बिल्क़ुल गलत और खतरनाक है। क्योंकि कार्बन्ज़ ही हमारे शरीर का पट्रोल है और इसके बिना गाड़ी नहीं चल सकती।अगर हम दिन में 5 से 6 बार थोड़ा थोड़ा करके अपनी हर खुराक में पूरे कार्बन्ज़ का 15% मीठा, 50 % अनाज और 35 % फाइबर्स खाएं तो शरीर कभी भी नहीं थकेगा और कोई कार्बन्ज़ फालतू न होने पर चर्बी के रूप में मोटापा और विभिन्न बीमारियां नहीं पैदा करेगा।
डॉ. रणधीर हस्तीर
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